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प्रसव के दौरान टांके और असहजत (How to care After Delivery,Sutures and disinhibition during delivery) Janakri Hi Jiwan hai

                            प्रसव के दौरान टांके और असहजत                             

            

प्रसव के बाद मुझे टांकों की जरुरत क्यों पड़ सकती है?


हालांकि, आपकी योनि और गुदा के बीच का क्षेत्र (पेरिनियम) काफी लचीला होता है, फिर भी शिशु को जन्म के समय थोड़ी और जगह की जरुरत हो सकती है। अगर, आपके पेरिनियम में इतना अधिक खिंचाव हो कि यह फट जाए, तो इसमें टांके लगाने की जरुरत पड़ सकती है।

इसके अलावा, भारत में प्राकृतिक प्रसव के दौरान भगछेदन यानि कि पेरिनियम क्षेत्र में शल्य चीरा लगाना (एपिसियोटमी) काफी आम है। चाहे शिशु का जन्म किसी उपकरण की सहायता से हुआ हो या नहीं।

एपिसियोटमी, पेरिनियम क्षेत्र में लगाया जाने वाला एक छोटा सा चीरा होता है, ताकि शिशु को बाहर निकलने में मदद मिल सके।

हालांकि, यह चीरा शिशु के जन्म के बाद शुरुआती दो हफ्तों में ठीक हो जाता है, मगर इस क्षेत्र को पूरी तरह से ठीक होने में करीब छह महीनों तक का समय लग सकता है। कभी-कभार, चीरा लगने के बाद एपिसियोटमी भी फट जाती है।

इसके साथ-साथ पेरिनियम क्षेत्र में चीरा लगाने या फटने से आपको कुछ खरोंच लगने की भी संभावना रहती है। बड़ी खरोंच, जो काफी सूज गई हो, उसे हीमाटोमा कहा जाता है। छोटे हीमाटोमा आमतौर पर बिना उपचार के ठीक हो जाते हैं, मगर कई बार इसमें मौजूद तरल पदार्थ को बाहर निकालने की जरुरत होती है।

खरोंच और हीमाटोमा आमतौर पर योनि के मुख से बाहर निकलने के लिए शिशु के सिर का दबाव पड़ने के कारण होती है। अगर, शिशु को बाहर निकलने के लिए मदद की जरुरत हुई, तो प्रसूती चिमटी (फोरसेप्स) और वेंटूस का प्रयोग किया जा सकता है। इससे भी शायद आपको अंदरुनी खरोंच और असहजता हो सकती है।

पेरिनियम क्षेत्र के फटने पर टांकों की जरुरत कब पड़ती है?


डॉक्टर जांच करेंगी कि पेरिनियम क्षेत्र कितना ज्यादा फटा है। पेरिनियम के फटने को चार वर्गों में बांटा गया है:

  • पहली डिग्री तक फटना: थोड़ा सा और त्वचा की गहराई तक पेरिनियम का फटना। यह आमतौर पर टांकों के बिना ठीक हो जाता है।
  • दूसरी डिग्री तक फटना: पेरिनियम क्षेत्र का थोड़ा ज्यादा फट जाना, जिसमें त्वचा के साथ-साथ मांसपेशियां भी फट जाती हैं। इसमें आमतौर पर टांकों की जरुरत पड़ती है। अगर, इसे प्राकृतिक तौर पर ठीक होने के लिए छोड़ दिया जाए, तो आपके लिए यह ज्यादा आरामदायक रहेगा। हालांकि, इस तरह ठीक होने में समय ज्यादा लगेगा।
  • तीसरी डिग्री तक फटना: गहरा और गंभीर चीरा, जो कि पेरिनियम की त्वचा और मांसपेशियों को प्रभावित करता है और गुदा के आसपास की अवरोधिनी मांसपेशियों (ऐनल स्फिंगक्टर) तक पहुंचता है। इसमें हमेशा टांकों की आवश्यकता होती है।
  • चौथी डिग्री तक फटना: एक गहरा और गंभीर चीरा, जो गुदा की मांसपेशियों से भी आगे तक पहुंचता है। यह आपकी आंत तक जा सकता है और इसमें हमेशा टांकों की जरुरत होती है।

कभी-कभार, आपके पेशाब करने के स्थान यानि की योनिमुख के पास का हिस्सा भी फट सकता है। इसे प्राकृतिक तौर पर ठीक होने के लिए भी छोड़ा जा सकता है, या फिर आपको टांकों की जरुरत पड़ सकती है।

प्रसव के दौरान पेरिनियम के गंभीरता से फटने की संभावना अधिक क्यों हो जाती है?

यह पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है कि प्रसव के दौरान आपका पेनियम क्षेत्र फट सकता है या नहीं। हालांकि इसके ज्यादा गंभीर तरीके से फटने की संभावना निम्न स्थितियों में धिक होती है:

  • यह आपका पहला बच्चा है
  • आपके शिशु का जन्म बैक-टू-बैक स्थिति (जिसमें शिशु की पीठ माँ की पीठ की तरफ होती है) में हुआ है
  • आपके शिशु का वजन चार किलोग्राम से ज्यादा है
  • आपके शिशु का जन्म प्रसूती चिमटी की मदद से हुआ है


यह अभी स्पष्ट नहीं है कि एपिड्यूरल लेने से पेरिनियम के फटने की संभावना ज्यादा रहती है या नहीं। प्रसव के दौरान होने वाली अन्य चीजें भी इसका कारण हो सकती हैं।

पेरिनियम के फटने या चीरे के बाद टांके किस तरह लगाए जाते हैं?

अगर ये सामान्य एपिसियोटमी या फिर सीधा सा चीरा है, तो आपको प्रसव कक्ष से जाने की जरुरत नहीं होगी। डॉक्टर आपको लोकल एनेस्थीसिया देकर पेरिनियम क्षेत्र को सुन्न कर देंगी और फिर सावधानीपूर्वक फटे हुए स्थान पर निर्बाध टांके लगा देंगी।

अधिकांश डॉक्टर सलाह देती हैं कि टांकों को एक साथ निर्बाध तरीके से लगाया जाए। इससे आपको बाद में कम दर्द होगा। टांके अपने आप घुल जाने वाले होते है, इसलिए इन्हें बाद में निकलवाने की जरुरत नहीं होती।

अगर, पेरिनियम क्षेत्र में लगाया गया चीरा बड़ा है, यह प्रसव के दौरान बढ़ गया है या फिर पेरिनियम क्षेत्र ज्यादा गंभीर तरीके से फटा है, तो आपको आॅपरेशन थियेटर में ले जाया जाएगा। यहां डॉक्टर पेरिनियम के फटे हिस्से को सिलेंगी।

आपको दर्द का अहसास हो, इसलिए आपको एनेस्थीसिया दिया जाएगा। जहां तक संभव है, यह लोकल एनेस्थीसिया होगा, जो कि रीढ़ (स्पाइनल) में या एपिड्यूरल के जरिये दिया जाएगा। इससे टांके लगाए जाने वाला क्षेत्र सुन्न हो जाएगा। कई बार इसमें जनरल एनेस्थीसिया की जरुरत पड़ती है।

आपके मूत्राशय से पेशाब निकालने के लिए एक पतली नलिका (कैथेटर) डाली जाएगी।

इससे पेरिनियम क्षेत्र को ठीक होने में आसानी रहेगी। तरल पदार्थ देने के लिए आपकी बाजू में ड्रिप लगी हो सकती है। एनेस्थीसिया का असर समाप्त होने पर दर्द निवारक दवाओं से दर्द में राहत मिलेगी।

टांके लगने के बाद 24 घंटों तक आपको काफी आराम की जरुरत होगी, मगर आपको ज्यादा देर तक बैठे रहना नहीं चाहिए।

टांकों को ठीक होने में मैं कैसे मदद कर सकती हूं?

संक्रमण से बचाने के लिए अपने टांकों को साफ रखें, और इन घरेलू उपायों को अपनाएं:

  1. दिन में एक बार अवश्य नहाएं।
  2. अपना सैनिटरी पैड नियमित रुप से बदलती रहें और बदलने से पहले और बाद में हाथ अवश्य धोएं।
  3. श्रोणि की मांसपेशियों के व्यायाम करती रहें, इससे टांके ठीक होने में मदद मिलेगी, क्षेत्र में रक्त संचार बेहतर होगा और मल या मूत्र का रिसाव होने से बचाव होगा।
  4. अपने टांकों में हवा लगने दें। दिन में दो बार 10 मिनट के लिए अपना अंडरवियर उतारकर बिस्तर पर आराम करें। कोई पुराना और साफ तौलिया नीचे लगा लें, ताकि चद्दर गंदी हो।
  5. ढीली, सूती अंडरवियर पहनें। तंग पैंट पहनें। रात को पहनने वाले गाउन, स्कर्ट या ढीली पटियाला सलवार जैसे कपड़ों में हवा की आवाजाही में मदद मिलती है
  6. रोजाना खूब सारा पानी पीएं और फाइबर से भरपूर भोजन लें, जैसे कि साबुत अनाज की रोटी, भूरे चावल, साबुत अनाज की ब्रैड और फल सब्जियां। इससे कब्ज से बचाव होगा। अगर, आप आसानी से मलत्याग कर सकेंगी, तो अधिक आराम महसूस करेंगी।


अगर, आपका पेरिनियम क्षेत्र ज्यादा फटा है, तो आपको पांच दिन का एंटीबायटिक्स का कोर्स करने के लिए भी कहा जाएगा। इससे संक्रमणों के खिलाफ सुरक्षा मिल सकेगी। आपको आसानी से मलत्याग करने के लिए रेचक (लैक्सेटिव्स) भी दिए जाएंगे, ताकि टांकों पर जोर पड़े।

मैं इस संवेदनशील क्षेत्र में राहत के लिए क्या कर सकती हूं?

टांकों के ठीक होने के दौरान यदि आपको काफी असहजता महसूस हो, तो आप नीचे दिए गए उपाय आजमा सकती हैं:

  • अपने पेरिनियम क्षेत्र में ठंडा जैल पैड रखें। अपनी त्वचा को बचाने के लिए जैल पैड को एक साफ तौलिये में लपेट लें और इसे आधे घंटे से ज्यादा समय के लिए रखें। दोबारा लगाने से पहले एक घंटे का इंतजार करें।
  • पेशाब करते समय एक मग हल्का गर्म पानी पेरिनियम क्षेत्र पर डालें। टॉयलेट पेपर से टांकों को आगे से पीछे की ओर थपथपाते हुए पौंछ लें।
  • गर्म पानी के टब में एंटीसेप्टिक मिला कर रोजाना पांच से 10 मिनट के लिए उसमें बैठे। कुछ महिलाओं का मानना है कि ठंडे पाने के अंदर बैठने से भी सूजन कम होने में मदद मिलती है, विशेषकर शुरुआती दिनों में। आप चाहे कोई भी विकल्प चुनें, ध्यान रखें कि इसके बाद खुद को अच्छे से पौंछकर सुखा लें और डॉक्टर द्वारा बताई गई एंटीसेप्टिक क्रीम लगाएं।
  • जब तक आप पूरी तरह ठीक नहीं हो जाती और डॉक्टर इसकी जांच कर लें, तब तक टैम्पॉन का इस्तेमाल करें।
  • अगर, आपके घर में टब है, तो आप थोड़ा आराम मिलने पर हल्के गर्म पानी से स्नान कर सकती हैं। आप पानी में लैवेंडर के तेल या चाय के पेड़ के तेल (टी ट्री आॅयल) की कुछ बूंदें मिला सकती हैं। ऐसे कोई प्रमाण नहीं हैं कि इनसे टांके ठीक होने में मदद मिलती है, मगर इससे आपको आराम अवश्य मिल सकता है। पानी में रोजाना दो बार, करीब 20 मिनट के लिए बैठें। साफ और मुलायम तौलिये से अपने टांकों को थपथपाकर सुखा लीजिए।
  • दर्द निवारक दवाएं लें। पेरिनियल दर्द से राहत के लिए पैरासिटामोल अच्छा विकल्प है। अगर, आपको और अधिक प्रभावी दवा चाहिए, तो आप आईबुप्रोफेन भी ले सकती हैं। हालांकि, यदि आपका शिशु समय से पहले पैदा हुआ है या उसका जन्म वजन काफी कम था और आप उसे स्तनपान करवा रही हैं,
    तो आईबुप्रोफेन लेने से पहले अपनी डॉक्टर से अवश्य पूछ लें। अगर, पैरासिटामोल या आईबुप्रोफेन से उतनी राहत मिले, तो डॉक्टर आपको और अधिक प्रभावी दर्दनिवारक दवाएं दे सकती हैं।
  • खुद को थकाएं। बिस्तर से निकलकर चलना-फिरना आपके रक्त संचरण के लिए अच्छा है, मगर आपको पेरिनियम क्षेत्र में भारीपन सा महसूस हो, तो आराम करें। अपने पैरों पर करीब एक घंटे तक भार डालें।

                    मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

अधिकांश चीरे या एपिसियोटमी आसानी से ठीक हो जाती हैं। आमतौर पर खरोंच और असहजता तो कुछ ही दिनों में बेहतर हो जाती है। टांके भी शिशु के जन्म के तीन या चार हफ्तों में ठीक हो जाते हैं। दो महीनों बाद आपको दर्द मुक्त हो जाना चाहिए।

अगर, आपका पेरिनियम क्षेत्र गंभीर तरीके से फटा था, तो भी शिशु के जन्म के एक साल बाद यह पूरी तरह ठीक हो ही जाता है।

प्रसवोत्तर जांच के दौरान डॉक्टर आपसे आपकी परेशानी या फिक्र के बारे में बात करेंगी। आप किसी बात को लेकर चिंतित हों, तो डॉक्टर से जल्दी मिलने का समय ले सकती हैं।

आपको डॉक्टर से मदद लेनी चाहिए, यदि:

  • आपके टांकों में बहुत ज्यादा दर्द हो या उनमें से दुर्गंध आए, यह संक्रमण होने का इशारा हो सकता है
  • आपको मल त्याग की इच्छा इतनी तीव्र होती है कि शौचालय की ओर भागना पड़ता है
  • गैस निकलते समय आप अपने मल को नियंत्रित नहीं कर पाती हैं
  • पेशाब करते हुए जलन या तेज चुभन वाला दर्द है और आपको बार-बार पेशाब जाना पड़ रहा है
  • आपको पेट पर नीचे की तरफ या फिर पेरिनियम क्षेत्र के आसपास तेज दर्द है
  • आपको तेज बुखार है
  • आपका सैनिटरी पैड लोकिया या रक्त से पूरी तरह भीगा हुआ है या बड़े खून के थक्के निकल रहे हैं
  • आपको कोई अन्य चिंता या फिक्र है

अगर, शिशु के जन्म के बाद आप दोबारा संभोग शुरु करना चाहती हैं, तो इस बारे में डॉक्टर से बात करें। टांकों और पीड़ा के बाद संभोग शुरु करने के बारे में फिक्रमंद होना स्वाभाविक है। आपके टांकों के ठीक होने की फिक्र आपको और अधिक डरा सकती है।

अपने पति के साथ अपनी भावनाएं साझा करें और उन्हें बताएं कि आप दोबारा संभोग को लेकर चिंतित हैं।

क्या मैं टांके लगवाने से बच सकती हूं?

भारत में अधिकांश डॉक्टर प्राकृतिक प्रसव के दौरान एपिसियोटमी करना पसंद करते हैं, इसलिए आपको टांके लगने की पूरी संभावना होती है। बहरहाल, यदि आप चिंतित हैं, तो अपनी डॉक्टर के साथ बात करें। वह आपको सुझाव दे सकती हैं कि आप क्या करें।

शिशु के जन्म की अनुमानित तिथि
से कुछ हफ्तों पहले से पेरिनियम क्षेत्र की मालिश करने से प्रसव के दौरान इसमें खिंचाव होने में मदद मिलती है। इससे आपको टांके, एपिसियोटमी या चीरा लगने की संभावना कम हो सकती है।

प्रसवोत्तर कक्षाओं के दौरान प्रशिक्षक आपको ऐसा करने का तरीका बता सकती हैं। प्रसव के दौरान पेरिनियम क्षेत्र पर हल्की गर्म पट्टी लगाने से शायद आपको टांकों की जरुरत पड़े।

क्या मेरे टांकों से भविष्य में कोई परेशानी होगी?

कुछ महिलाओं को लंबे समय तक पेरिनियल दर्द रहता है या फिर पेशाब को नियंत्रित करने में मुश्किल होती है। कुछ महिलाओ को टांके लगने की वजह से संभोग के दौरान दर्द होता है या फिर मूत्राशय से जुड़ी परेशानियां होती हैं।

मगर, आप नियमित रूप से श्रोणि मांसपेशियों के व्यायाम के जरिये इन परेशानियों को रोक सकती हैं। अगर, सुधार हो, तो आप डॉक्टर की मदद ले सकती हैं। सही उपचार से टांकों की वजह से होने वाली समस्याओं को ठीक किया जा सकता है।

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