लगातार ऑनलाइन पढ़ाई...सेहत के लिए ठीक नहीं भाई
लॉकडाउन के चलते स्कूल बंद चल रहे हैं। ऐसे में सिलेबस पूरा करवाने के लिए स्कूल ऑनलाइन स्टडी पर जोर दे रहे हैं. वहीं एक्सपर्ट्स के अनुसार घंटों मोबाइल पर ऑनलाइन पढ़ाई करने से बच्चों को नुकसान उठाना पड़ सकता है.
सूख सकता है आंख का पानी
लंबाई पर पड़ सकता है असर
सीनियर आर्थोपेडिक डॉ। ऋषि सक्सेना ने बताया कि अभिभावक ऑनलाइन पढ़ाई करवाते समय बच्चों के बैठने पर ध्यान दें। ज्यादा देर झुककर बैठने से सबसे बड़ा असर उनकी लंबाई पर पड़ सकता है। साथ ही गर्दन, कमर में दर्द हो सकता है और उनकी स्पाइन में भी दिक्कत आ सकती है। इसलिए पढ़ते समय थोड़ी-थोड़ी देर में मोबाइल अलग रख दें और थोड़ी देर वॉक करें।
थकान और कमजोरी से बच्चे होंगे चिड़चिड़े
बच्चों की फिटनेस को ध्यान में रखते हुए डॉ। अरुण चौधरी ने बताया कि मोबाइल का इस्तेमाल ज्यादा करने से बच्चों में थकान और कमजोरी आएगी। इससे उनमें दिनभर चिड़चिड़ापन बना रहेगा और आलस भी रहेगा। उन्होंने बताया कि मोबाइल से बेहतर होगा कि अभिभावक डेस्कटॉप पर पढ़ाई करवाएं।
एक्ट्रा एक्टिविटी में शामिल हों बच्चे
सीडब्ल्यूसी की सदस्य सुधा रानी ने बताया कि ऑनलाइन स्टडी का विकल्प पूरी तरह सही नहीं है। जितना यह लाभदायक है उतना ही घातक भी है। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई से अच्छा है बच्चे टीवी पर रामायण सहित अन्य धार्मिक कार्यक्रमों से अच्छी बातें सीखें और एक्स्ट्रा एक्टिविटी करें।
इन
बातों का रखें विशेष ध्यान
1- मोबाइल को लैपटॉप, डेस्कटॉप या एलईडी से कनेक्ट करके पढ़ाई करवाएं।
2- बीच-बीच में बच्चों को ब्रेक जरूर दिलाएं
3- माता-पिता बच्चों के बैठने के तरीके पर नजर रखें
4- चेक करते रहें कि बच्चे कहीं गेम या चैट पर समय तो नहीं बिता रहे
5- ऑनलाइन प्रश्न उत्तर को कॉपी पर लिखवाकर करवाएं काम
बच्चों को घर पर पढ़ाएं अभिभावक
इस संबंध में बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ। सुचिता चतुर्वेदी ने बताया कि मोबाइल पर ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर कई समस्याएं हैं। जरूरी नहीं की हर घर में कई एंड्राइड फोन हों। नेटवर्क और डेटा की समस्या भी होती है। इसलिए बच्चों और अभिभावकों को भी काफी परेशानियां उठानी पड़ेंगी। स्कूल प्रशासन को ऑनलाइन क्लास की इस व्यवस्था को बंद कर देना चाहिए। अभिभावकों को खुद अपने बच्चों को घर पर पढ़ाना चाहिए।
Lockdown : ऑनलाइन एजुकेशन का स्तर भारत में नहीं है मजबूत !
इन चुनौतियों का कर रहा सामना
कोरोना
वायरस के कारण उपजी परिस्थिति में भारतीय इंटरनेट की बुनियादी संरचना ऑनलाइन पठन-पाठन की दिशा में
बढ़ने के लिए अभी पूरी तरह तैयार नहीं
है।
शैक्षिक संस्थानों की वैश्विक रैंकिग तैयार करने वाली संस्था क्वाकक्वारेल्ली सायमंड्स (क्यूएस) की
एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
कोविड-19 : दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के लिए जागने
का समय शीर्षक वाली रिपोर्ट क्यूएस गौज
द्वारा किए गए सर्वेक्षण पर आधारित है । भारत में कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की रैंकिंग
तैयार करने वाली संस्था क्यूएस आई गुआज का नियंत्रण
लंदन स्थित क्यूएस के पास है।
रिपोर्ट
में उल्लेख किया गया है कि ऑनलाइन कक्षाओं के समय छात्रों को सबसे ज्यादा कनेक्टिविटी और सिग्नल के
मुद्दों का सामना करना पड़ता है ।
रिपोर्ट
के मुताबिक, ''सर्वेक्षण में उल्लेख
किया गया है कि भारत में प्रौद्योगिकी की
बुनियादी संरचना इतनी गुणवत्तापूर्ण नहीं हो पायी है कि देश भर में छात्रों को ऑनलाइन कक्षाएं आसानी
से उपलब्ध करायी जा सके। ऐसा देखा गया है कि
सरकारी और निजी क्षेत्र भी तकनीकी चुनौतियों से उबर नहीं पाए हैं। मसलन, पर्याप्त बिजली आपूर्ति और प्रभावी
कनेक्टिविटी की दिक्कतें हैं।
इसमें
कहा गया, ''कोविड-19 के संक्रमण के कारण दुनिया कक्षाएं
मुहैया कराने के लिए परंपरागत
तरीकों से ऑनलाइन माध्यम की दिशा में आगे बढ़ रही है । लेकिन, समुचित
आधारभूत संरचना के अभाव में पठन-पाठन के लिए ऑनलाइन माध्यम पर पूरी तरह निर्भरता दूर का ही सपना
है। रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वेक्षण में 7,600 से
ज्यादा लोगों ने जवाब दिए। इसमें घर पर इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों के बारे में पता चला कि 72.60 प्रतिशत लोगों ने मोबाइल हॉटस्पॉट का उपयोग किया, 15 प्रतिशत ने ब्रॉडबैंड का, 9.68 प्रतिशत ने वाई-फाई डोंगल का उपयोग किया तथा 1.85 प्रतिशत के पास इंटरनेट कनेक्टिविटी
नहीं थी।
रिपोर्ट में कहा गया, ''आंकड़ों से पता चला कि घरेलू ब्रॉडबैंड का इस्तेमाल करने वालों में तीन प्रतिशत से ज्यादा को केबल कटने की दिक्कतें हुईं, 53 प्रतिशत ने कमजोर कनेक्टिविटी का सामना किया, 11.47 प्रतिशत को बिजली से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा और 32 प्रतिशत लोग सिग्नल से ही जूझते रहे। मोबाइल हॉटस्पॉट की बात हो तो 40.18 प्रतिशत को कमजोर कनेक्टिविटी, 3.19 प्रतिशत को बिजली की दिक्कतों और 56.63 प्रतिशत को सिग्नल से जुड़ी दिक्कतें हुई।
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन लागू है। ऐसे में देश भर में स्कूल और कॉलेज अभी बंद हैं ।
जिस तरह आपको पता है की इस संकट की घडी में हम Carona को तो हरा नहीं सकते लेकिन कुछ परहेज करके उससे हम अपना और अपने परिवार की देखभाल कर सकते है / यह Carona बच्चो पर ज्यादा प्रभावित होने की संभावना है इस करके मित्रो आपको लोगो को पता है की ये Carona बहुत ही लम्बे समय तक चलेगा और हो सके हमे इस साल इस के साथ ही जीना पड़ेगा/
इस करे मेरे सुझाऊ है की
इसका सबसे बड़ा लाभ सभी देशवाशियो को होगा और देश की आर्थिक विकास में थोड़ी सी मदद वि मिलेगी
जानिये कैसे
1.इस सन्देश से सभी परिवार वालो को अपने बच्चो के भविष्य की चिंता थोड़ी की कम हो जाएगी/
2. जो वह पैसे अपने बच्चो के पढाई पर खर्च करने जा रहे थे उससे एक साल का समय मिल जायेगा ?
3. जो पैसे पढाई से बचेंगे उस पैसे को अपने कारोबार में उपयोग करेंगे जिससे देश की आर्थिक विकास में थोड़ी सी मदद मिलेगी ?
4.देश का जो आर्थिक पहिया फिर से पटरी पर लौट सकेगा
अगर आप लोगो को मेरी जानकारी अच्छी लगी हो तो Please इसे शेयर करे ताकि ये सन्देश सब तक पहुंच सके
मेरे जानकारी को साझा करने के लिए आप का तहे दिल से प्रेमपूर्वक धनयवाद करता हूँ
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