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महिलाएं क्यों नहीं फोड़ती हैं नारियल ? जानिए इसके पीछे


महिलाएं क्यों नहीं फोड़ती हैं नारियल ? जानिए इसके पीछे  वजह क्या है


भारत देश न केवल सांस्कृतिक रूप से सुदृढ़ है बल्कि यहाँ की कई परम्पराएं कभी-कभी इंसान को हैरानी में डाल देती हैं। हर भारतवासी बचपन से ऐसी कई चीज़ों, रीतियों और नियमों का पालन करते आएं हैं जिसके बारें में उन्हें असल में कुछ मालूम नहीं होता है। हम कुछ चीज़ें बचपन से अपने आँखों के सामने होते देखते हैं लेकिन हम ये नहीं जानना चाहते हैं कि आखिर यह प्रथा क्यों है। यह चीज़ें अक्सर धार्मिक उपक्रमों में ज्यादा होती है।

भारत में जितनी भी परंपरा प्रचलित है सबके पीछे एक कारण है। पौराणिक महत्व भी प्रथा के पीछे होती है। ऐसी ही एक प्रथा है नारियल को लेकर। आप सभी ने देखा होगा कि नारियल को कभी भी महिलाएं नहीं फोड़ती है। इसे हमेशा पुरुष ही फोड़ते हैं। आखिर इसके पीछे क्या प्रथा है जो महिलाओं को नारियल फोड़ने से रोकती है। आइये इस बारें में विस्तार से जानते हैं।

नारियल फल नहीं बल्कि एक बीज है।


नारियल का महत्व हिन्दू धर्म में बहुत ज्यादा है। पूजा से लेकर उद्घाटन कार्यक्रम तक नारियल प्रयोग में लाया जाता है। साथ ही यह सेहत के लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण है।

आपको बता दें कि नारियल एक फल नहीं बल्कि एक बीज है। क्योंकि महिला एक बीज से बच्चे को जन्म देती है। महिलाएं भी शिशु को जन्म देती हैं इसलिए लोग महिला को नारियल फोड़ने नहीं देते है क्योंकि यह भी एक बीज है और महिला बीज को कभी नुकसान नहीं पहुंचा सकती है।

पौराणिक कथा नारियल के पीछे 


माना जाता है कि नारियल को भगवान विष्णु की ओर से पृथ्वी पर भेजा गया फल है। इस फल पर माता लक्ष्मी का हक़ होता है। इसलिए माता लक्ष्मी को छोड़कर नारियल को किसी अन्य महिला द्वारा नहीं फोड़ने दिया जाता है। बात यह भी निकलकर आती है कि माता लक्ष्मी भी एक महिला है। नारियल पर उनका अधिकार है तो कोई भी महिला किसी चीज़ को कैसे फोड़ सकती है जो उसे चढ़ाया जाता है।
 धार्मिक कार्यों में नारियल का प्रयोग किया जाता है। बिना नारियल के पूजा को अधूरा माना जाता है। नारियल से शारीरिक दुर्बलता भी दूर होती है। लेकिन स्त्रियों को पूजा से संबधित कार्यो में कभी भी नारियल नहीं फोड़ना चाहिए। 
 

नारियल को श्रीफल के नाम से भी जाना जाता है भगवान विष्णु जब पृथ्वी में प्रकट हुए तब स्वर्ग से वे अपने साथ तीन विशेष भी लाए। जिनमें पहली  थीं माता लक्ष्मी, दूसरी वे अपने साथ कामधेनु गाय लाए थे तथा तीसरी व आखरी चीज थी नारियल का वृक्ष।
 
क्योंकि यह भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी का फल है यही कारण है कि इसे श्रीफल के नाम से जाना जाता है। इसमें त्रिदेवो ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश का वास होता है।
महादेव शिव को श्रीफल अर्थात नारियल अत्यन्त प्रिय है तथा श्रीफल में स्थित तीन नेत्र भगवान शिव के त्रिनेत्रों को प्रदर्शित करते है। देवी देवताओं को श्री फल चढ़ाने से धन संबंधित समस्याओं का समाधान होता है।
 
हमारे हिन्दू सनातन धर्म के हर पूजा में श्रीफल अर्थात नारियल का महत्वपूर्ण योगदान है, चाहे वह धर्म से संबंधित वैदिक कार्य हो या देविक कार्य कोई भी कार्य नारियल के बलिदान के बिना अधूरी मानी जाती है।
 
परन्तु यह भी एक खास तथ्य है कि स्त्रियों द्वारा नारियल को नहीं फोड़ा जा सकता क्योंकि श्रीफल अर्थात नारियल एक बीज फल है जो उत्पादन या प्रजनन का कारक है। श्रीफल प्रजनन क्षमता से जोड़ा गया है। स्त्रियां बीज रूप में ही शिशु को जन्म देती है यही कारण है कि स्त्रियों को बीज रूपी नारियल को नहीं फोड़ना चाहिए।
 
ऐसा करना शास्त्रों में अशुभ माना गया है। देवी देवताओं  की पूजा साधना आदि के बाद केवल पुरुषों द्वारा ही नारियल को फोड़ा जा सकता है

नारियल के पेड़ को कहते हैं ‘कल्पवृक्ष’

नारियल में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का निवास होता है। इसलिए नारियल के पेड़ को कल्पवृक्ष कहते हैं। तीनों देवताओं के निवास के कारण नारियल को महिलाओं से दूर रखा जाता है।

बिन नारियल पूजा मानी जाती है अधूरी

जैसा कि ज्ञात है कि पूजा में नारियल का उपयोग किया जाता है। जब तक पूजा में नारियल नहीं होता है तब तक पूजा अपूर्ण मानी जाती है। ऐसा देखा गया है कि लोग जब मंदिरों में दर्शन के लिए जाते हैं तो नारियल जरूर लेके जाते हैं। इसलिए जब भी घर में पूजा होती है तो नारियल जरूर रखा जाता है। इससे घर में पैसे की कमी नही होती है और न ही घर में बुरा साया पड़ता है।

नारियल का उत्पादन

दुनिया भर में 80 से अधिक देशों में नारियल का उत्पादन होता है। फिलीपींस, इंडोनेशिया, भारत और ब्राजील में दुनिया के नारियल उत्पादन का लगभग 80% हिस्सा होता है। भारत में नारियल दक्षिण भारत में पाए जाते हैं।


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